हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आप का पूरा नाम नाफ़ेअ इब्ने हिलाल इब्ने नाफ़ेअ इब्ने हमल इब्ने सअद अलअशीरा इब्ने मदहज अलजमली था। आप बुजुर्गे कौम और शरिफुन्नफ्स थे। मिल्लत की सरदारी और रियासत आप की खानदानी विरासत थी।
आप बहादुर, कारी-ऐ-कुरान रावी-ऐ-हदीस और मुंशी-ऐ-कामिल थे आप को हजरत अली अलै० के असहाब में भी होने का शरफ हासिल था। आप ने जंगे जमल, सिफ्फिन, और नहरवान में शिरकत की थी।
कूफे में जनाबे मुस्लिम इब्ने अकील की शहादत से क़ब्ल ही आप इमाम हुसैन अलै० की खिदमत में पहुच गए थे। लश्करे हुर्र से मुलाक़ात के बाद सयैदुश शोहदा ने जिस खुतबे में ये फरमाया था की तुम लोग चले जाओ यह लोग सिर्फ मेरा खून बहाना चाहते है।
इस का जवाब असहाब में ज़ुहैर ने सबसे पहले दिया था उस के बाद नफ़ेअ इब्ने हिलाल ने ही एक तवील तक़रीर में जांनिसारी का यकीन दिलाया था ।
कर्बला में पानी बंद हो जाने के बाद हुसुले आब (पानी) में आपने भी काफी जद्दो-जहद की थी। एक दो बार हजरते अब्बास अलै० के साथ भी सई-ऐ-आब में गए थे। आपने अपने तमाम तीर जहर में बुझाए हुए थे बारह दुश्मनों को तीर से मार कर तलवार से हमला करने लगे और बेशुमार दुश्मनों की जख्मी कर दिया बिल आखिर शिम्र ने आप को शहीद कर दिया।